वन विभाग की उदासीनता से लकड़ी तस्करों के हौसले बुलंद, हरे- भरे पेड़ो की अंधाधुन की जा रही कटाई
साल जंगल के भीतर अवैध कटाई के दौरान 11 केवी विद्युत प्रवाहित तार पर गिरा पेड़, आपूर्ति घण्टो बाधित
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कोरबा/पाली:-कटघोरा वनमंडल अंतर्गत पाली वनपरिक्षेत्र के जंगलों में कीमती इमारती लकड़ियों की अवैध कटाई जमकर की जा रही है। निष्क्रिय वनपरिक्षेत्राधिकारी एवं वनकर्मियों के निठल्लेपन का लाभ उठा इन दिनों वन तस्कर कीमती लकड़ी की बेधडक़ कटाई कर रहे है। ऐसे ही एक जंगल में अवैध कटाई के दौरान 11 केवी विद्युत प्रवाहित तार पर पेड़ जा गिरा जिससे अनेक ग्रामो की बिजली सेवा घण्टो बाधित रही। विद्युत कर्मचारी सुधार कार्य को लेकर काफी मशक्कत करते दिखे लेकिन सूचना के कई घण्टे बाद भी पाली वन परिक्षेत्र का कोई भी अधिकारी- कर्मचारी मौके पे नही पहुँचा।
पाली वनपरिक्षेत्राधिकारी कार्यालय अंतर्गत आसपास के घने साल, सागौन जंगलों में वन माफिया काफी सक्रिय है, जो पैसे की लालच में कीमती हरे- भरे पेड़ों की बेरहमी से कटाई कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त जंगल में कई औषधीययुक्त कीमती पेड़ भी हैं, उसे भी वन माफिया नहीं छोड़ रहे। हरियाली लिए वनों से आच्छादित पाली रेंज के जंगलों में कई ऐसे पेड़- पौधे हैं, जो कई बीमारियों के लिए संजीवनी का कार्य करते हैं। किन्तु वन माफिया इमारती पेड़ो के साथ- साथ औषधीय पेड़ो को भी नही बख्श रहे है। परिक्षेत्राधिकारी एवं वन कर्मचारी उन माफियाओं के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई कर पाने में नाकाम साबित हो रहे है। ऐसे ही नानपुलाली- पाली सर्किल के मुनगाडीह बीट अंतर्गत नानपुलाली के साल जंगल के भीतर वन माफिया द्वारा अवैध कटाई के दौरान 11 केवी विद्युत प्रवाहित गुजरे तार पर भारी- भरकम साल का पेड़ जा गया।
इस दौरान अवैध कटाई को अंजाम दे रहे लोग तो मौके से भाग गए लेकिन विद्युत तार के टूटने से नानपुलाली, पुलालीकला, पोड़ी सहित दर्जन भर से अधिक ग्रामो में बिजली सेवा घण्टो बाधित रही। विद्युत कर्मचारी मौके पे पहुँच सुधार की दिशा में काफी मशक्कत करते दिखे किन्तु सूचना के बाद भी पाली परिक्षेत्र का कोई भी अधिकारी- कर्मचारी समाचार लिखे जाने तक पेड़ कटाई स्थल पर नही पहुँचा था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाली वन परिक्षेत्र में बैठे नौकरशाह अपने दायित्वों के निर्वहन में कितनी गंभीरता दिखाते है। हरे- भरे पेड़ो की अवैध कटाई से जहां क्षेत्र में पर्यावरण संकट बढ़ रहा है तो वन माफियाओं द्वारा कीमती पेड़ों की कटाई कर जंगलों को वृक्षविहीन बनाने का कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा है।
ऐसे में प्रकृति से हरियाली घटती जा रही है और वन विभाग की लापरवाही के कारण दिनों- दिन जंगलों का उजाड होता चला जा रहा है। एक ओर इमारती पेड़ो की अवैध कटाई कर वन माफिया औने- पौने दाम पर बेचकर मालामाल हो रहे है तो दूसरी ओर जिम्मेदारों की निष्क्रियता के कारण प्रकृति से हरियाली घटती दिखाई दे रही है। वृक्षारोपण के नाम पर सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च करती है। वहीं वृक्षारोपण के साथ- साथ उसकी सुरक्षा का जिम्मा भी विभाग के अधिकारी- कर्मचारियों के ऊपर तय रहती है।
ताकि पर्यावरण में अनुकूलता बने रहने के साथ पेड़ो को सुरक्षित रखा जा सके। इसके विपरीत विभाग की लापरवाही व अनदेखी की वजह से जंगलों का उजाड़ होने के परिणामस्वरूप मौसम में लागातार परिवर्तन देखा जा रहा है। इसका जिम्मेदार आखिर कौन?