कला प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों की कल्पना उत्सुकता सौंदर्य अनुभूति को विकसित कर उनकी संवेदनशीलता और सृजनशीलता को विकसित करती है।

कला प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों की कल्पना उत्सुकता सौंदर्य अनुभूति को विकसित कर उनकी संवेदनशीलता और सृजनशीलता को विकसित करती है।

कला प्रतियोगिता द्वारा विद्यार्थियों में स्वयं को समझने एवं प्रकट करने का गुण विकसित होता है। विद्यार्थियों में इसी गुण को विकसित करने के लिए शासकीय हाई स्कूल स्याहीमुड़ी में गणेश चतुर्थी के अवसर पर विद्यालय के इको क्लब द्वारा मिट्टी से गणेश जी की प्रतिमा बनाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ फरहाना अली ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्व में प्रतिमाएं प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनती थी जो जल को प्रदूषित करती है। परंतु मिट्टी से बने प्रतिमाओं को ससम्मान जल में विसर्जित किया जा सकता है। बच्चों द्वारा बनाई गई प्रतिमाएं एवं उनकी भावनाएं प्रकृति प्रेम का जीवंत उदाहरण है। इको क्लब प्रभारी व्याख्याता पुष्पा बघेल ने बच्चों को मिट्टी से प्रतिमा बनाने की कला सिखाई ।उन्होंने बताया कि पहले किसी साफ स्थान से मिट्टी लेकर उसे पानी में घोलते हैं और मिट्टी से कचरे कंकड़ पत्थर को छानकर अलग कर लेते हैं। फिर मिट्टी को कपड़े की पोटली में लटकाकर उसमें से अतिरिक्त पानी निकाल देंगे। मिट्टी को आटा की तरह गूंथ लेना है। उसके बाद तिनके और दियासलाई की सहायता से उसे प्रतिमा का आकार देना है। प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करने से विसर्जन के पश्चात जलीय जीवो को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। हल्दी से पीला रंग चूना और हल्दी के मिश्रण से लाल रंग चूने से सफेद रंग पत्तियों से हरा रंग एवं फूलों से विभिन्न रंग बनाए जा सकते हैं। इस प्रतियोगिता में बच्चों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया और एक से बढ़कर एक सुंदर प्रतिमाएं बनाईं। प्रथम स्थान जगदीश सुंडी द्वितीय संदीप प्रजापति एवं तृतीय स्थान नीरज ने प्राप्त किया। कार्यक्रम में सरोजिनी उईके व्याख्याता ने विशेष योगदान दिया। कार्यक्रम में नरेंद्र कुमार राठौर एवं प्रभा साव भी उपस्थित थे।