Big ब्रेकिंग : कटघोरा 15 अगस्त तक अगर जिला नहीं बना तो 16 अगस्त को करुंगा आत्मदाह : नगर पालिका अध्यक्ष रतन मित्तल
ब्रेकिंग : कटघोरा 15 अगस्त तक अगर जिला नहीं बना तो 16 अगस्त को करुंगा आत्मदाह : नगर पालिका अध्यक्ष रतन मित्तल
कटघोरा 25 अक्टूबर 2021 : कटघोरा को जिला बनाओ अभियान को समर्थन देने आंदोलन के 64 वें दिन क्षेत्रीय विधायक व आदिवासी मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त) पुरषोत्तम कँवर पूरे लाव-लश्कर के साथ व्यवहार न्यायालय स्थित अधिवक्ताओं के धरना स्थल पहुंचे थे. इस दौरान उनके साथ जिला पंचायत की अध्यक्ष व पसान, पोंड़ी, पाली क्षेत्र के जनपद सदस्य भी मौजूद रहे.
अपने उद्बोधन में विधायक ने बताया कि कटघोरा कितना पुराना तहसील है और इस क्षेत्र की विरासत कितनी उज्ज्वल रही है यह बताने की आवश्यकता नही है. कटघोरा तहसील क्षेत्र उन सभी निर्धारित मापदंडों को पूरा करता है जो एक जिले के लिए जरूरी होता है. उन्होंने बताया कि प्रदेश के लगभग सभी पुरातन तहसीलों को जिले का दर्जा दिया जा चुका है लिहाजा कटघोरा भी अपने इस अधिकार की मांग करता है. अपने सम्बोधन की शुरुआत में उन्होंने महिषासुर मर्दिनी, मातिन व कोसगाई दाई को प्रणाम करते हुए बताया कि यह तीन देवियां अलग-अलग विकासखंडों का प्रतिनिधित्व करते हुए जिले की संरक्षक भी है. उनके आशीर्वाद से जल्द ही कटघोरा को जिले का दर्जा मिलेगा. विधायक ने बताया कि अक्सर नए जिलो के गठन में जो कठिनाई सबसे ज्यादा सामने आती है वह क्षेत्र विशेष के लोगो की असहमति के तौर पर सामने आती है लेकिन कटघोरा पूरी तरह से निर्विवाद है. इसकी मिशाल इसी बात से मिलती है कि अबतक दर्जनों सामाजिक संगठन, धार्मिक, व्यापारिक संघों ने यहां आकर इस अभियान को अपना समर्थन पत्र सौंपा है. विधायक ने बताया कि प्रस्तावित जिले में जिन क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा उसकी कुल जनसंख्या साढ़े छह लाख है. जाहिर है सरकार के पास इन साढ़े छह लाख लोगों को रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा व बुनियादी संसाधन पहुंचाने का एक बढ़िया अवसर होगा. उन्होंने जल्द ही अपने नेतृत्व में एक प्रतिनिमण्डल राजधानी भी ले जाने की बात कही है. उक्त प्रतिनिमण्डल में सभी धर्म, समुदाय, जाति व संघों का प्रतिनिधित्व शामिल होगा. इस मांग को विस् अध्यक्ष डॉ महंत, सांसद ज्योत्सना महंत व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का भी समर्थन हासिल है. मुख्यमंत्री को भी इस मांग से अवगत कराया जा चुका है.
“बीस साल पहले प्रयासों में थी कमी, अब नही होगी”
विधायक श्री कँवर ने बताया कि 1998 के पूर्व जब कोरबा जिले का गठन नही हुआ था तब कोरबा पंचायत कटघोरा तहसील के अधीन था. हमारी मांगे उस दौर में भी पूरी हो सकती थी पर शायद प्रयासों में कोई कमी रह गई होगी. लेकिन आज जिस मुखरता और एकजुटता से क्षेत्र की जनता, अधिवक्ता व पत्रकार संघ ने इन मांग को उठाया लिहाजा अब किस तरह के चूक की कोई गुंजाइश नही.
“ले रहा था धैर्य की परीक्षा”
आंदोलन को दो महीने बाद अपना समर्थन देने पर उन्होंने चुटकी ली. पुरषोत्तम कँवर ने कहा की अक्सर लोगो के बीच यह चर्चा थी कि वह आंदोलन को अपना समर्थन क्यो नही दे रहे है? श्री कँवर ने बताया कि इस मांग को शुरुआत से ही उनका पूरा नैतिक समर्थन रहा है. वे अक्सर यह से गुजरते हुए इस आंदोलन को एक नजर देखते भी थे. इस तरह वे अपने लोगो के धैर्य की परीक्षा भी ले रहे थे. विधायक के इस स्वीकारोक्ति से वहां उपस्थित सभी ठहाके लगाने लगे.
“जिले के लिए आत्मदाह करने को भी तैयार” – रतन मित्तल
कार्यक्रम में पहुंचे नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष रतन मित्तल ने पिछड़े कटघोरा क्षेत्र के समावेशी विकास के लिए जिले के दर्जे को जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि जनसंख्या के हिसाब से कटघोरा के पास संसाधनों की किल्लत है. इसके लिए जरूरी है कि तहसील के अपग्रेडेशन हो ताकि शहर व तहसील वासियों को जिलास्तरीय सुविधाए मिल सकें. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि आने वाले गणतंत्र अथवा स्वतंत्रता दिवस तक अगर सरकार जिले का एलान नही करती तो वे आत्मदाह करने को भी तैयार है.