हिरोशिमा में 6 अगस्त को परमाणु हमले के तीन दिन बाद जापान के ही दूसरे शहर नागासाकी में 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने दूसरा परमाणु हमला किया। जिसमें 40 हजार लोगों की मौत हो गई थी।युद्ध में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

युद्ध को ना कहिए …..सभी देशों में शांति स्थापित होना चाहिए.

हिरोशिमा में 6 अगस्त को परमाणु हमले के तीन दिन बाद जापान के ही दूसरे शहर नागासाकी में 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने दूसरा परमाणु हमला किया। जिसमें 40 हजार लोगों की मौत हो गई थी।
इन दोनों परमाणु हमलों में लगभग 1.20 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई थी। हिरोशिमा और नागासाकी दोनों शहर कब्रिस्तान बन गया था। शहर की लगभग आधी आबादी का खात्मा हो चुका था, जो बच गए थे वो अपंगता के शिकार हो गए। कई घंटों तक इलाके में काली बारिश होती रही। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु हमलों का ये पहला और अब तक का आखिरी रिकॉर्ड है।
छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की कोरबा इकाई द्वारा इसी सम्बन्ध में विभिन्न स्कूलों में चित्रकला,स्लोगन स्पर्धा का आयोजन किया गया । हिरोशिमा नागासाकी…एक सबक विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें डॉ वाय के सोना,सचिव छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा, निधि सिंह, सह सचिव छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा एवं प्राध्यापक कमला नेहरू महाविद्यालय कोरबा, डॉ फरहाना अली प्राचार्य शासकीय हाई स्कूल स्याहीमुड़ी , उपाध्यक्ष कोरबा विज्ञान सभा, वेदव्रत उपाध्याय प्राध्यापक, आशुतोष शर्मा कमला नेहरू महाविद्यालय सहायक प्राध्यापक ने युद्ध के कारण होने वाले विनाश के बारे में जानकारी दी।कार्यक्रम में
हाई स्कूल स्याहीमुड़ी
हाई स्कूल अयोध्यापुरी
मिडिल स्कूल स्याहीमुड़ी
हायर सेकेंडरी स्कूल घुड़देवा
हायर सेकेण्डरी स्कूल मोंगरा
हायर सेकेण्डरी स्कूल बलगी
कमला नेहरू महाविद्यालय के शिक्षकों एवम विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। हाईस्कूल स्याहीमुड़ी में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के सक्रिय सदस्य ज्योति, नीलिमा, रघु, अंजलि रेड्डी द्वारा लघु नाटिका के माध्यम से हिरोशिमा नागासाकी विषय में बच्चों को जानकारी प्रदान की गई ।नाटिका का पटकथा लेखन एवं नाट्य रूपांतरण ,निर्देशन छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की रिसोर्स पर्सन कल्याणी मुखर्जी(रायगढ़ ) द्वारा किया गया।लघु नाटिका में हाईस्कूल स्याहीमुड़ी की माधुरी, काजल एवम मुस्कान ने किरदारों की भूमिका अदा की।नाटिका के माध्यम से बच्चों को बताया गया कि
परमाणु बमो का प्रयोग कितना घातक।कौन जीता और हारा कौन?
अब रिएक्टरो का इस्तेमाल रचनात्मक कार्य के लिए किया जा रहा है ।ब्रेडर रिएक्टर तो ऐसा रिएक्टर है जिसमें इंधन खर्च होने से और अधिक इंधन बनता है।कृत्रिम आईसोटॉप का इस्तेमाल कृषि उद्योग और चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति ला दिया है।इस समय विश्व की कुल उर्जा का 10% और भारत में तीन प्रतिशत भाग परमाणु ऊर्जा से प्राप्त होता है।
स्वतंत्र और स्वदेशी तकनीक से परमाणु इंधन प्राप्त करना है।
परमाणु इंधन प्राप्त करने के लिए यूरेनियम , पलूटोनियम से भी अधिक सहायक थोरियम।भारत एक मात्र ऐसा देश है जिसने उच्च बर्न अप पर थोरीयम को स्वदेशी तकनीक से विकसित किया है।
अब वैज्ञानिक न्यूक्लियर फ्यूजन को नियंत्रित करने में लगे हैं। इससे विद्युत निर्माण की समस्या काफी हद तक कल होगी। कार्यक्रम को सफल बनाने में पुष्पा बघेल, प्रभा साव व्याख्याता ने योगदान दिया। अंत में
सभी के द्वारा युद्ध में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।